बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
लोकतांत्रिक प्रशासन का अर्थ समझाते हुए, इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकतांत्रिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं?
2. लोकतांत्रिक प्रशासन की दो विशेषताएँ बताइए।
3. लोकतांत्रिक प्रशासन की विशेषता के रूप में विकेन्द्रीकरण पर प्रकाश डालिए।
4. 'जन सहयोग' की प्रशासन में क्या भूमिका है?
उत्तर -
आधुनिक युग लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं का युग है। अतः आज शासन व प्रशासन का लोकतांत्रीकरण एक अनिवार्य आवश्यकता है। ऐसे में प्रशासन के लोकतंत्र के अनुकूलतम रूप को 'लोकतांत्रिक प्रशासन' के नाम से जाना जाता है। लोकतांत्रिक प्रशासन के अर्थ व विशेषताओं का उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के माध्यम से किया जा सकता है
(Democratic Administration : Meaning)
'लोकतांत्रिक प्रशासन' शब्द दो शब्दों का सामूहिक रूप है। इनमें 'लोकतांत्रिक का अर्थ होता है ऐसा कोई भी कार्य, कार्य प्रणाली, शासन अथवा धारणा जोकि जनता की सहभागिता पर आधारित हो तथा जनता के प्रति इसकी जवाबदेही बनती है। इस प्रकार लोकतांत्रिक प्रशासन के विषय में कहा जा सकता है कि "यह प्रशासन का वह रूप है जिसके अंतर्गत जन सहयोग व जन सहभागिता पर बल दिया जाता है, तथा यह जनता के प्रति लचीला व संवेदनशील होता है।"
अतः लोकतांत्रिक प्रशासन वर्तमान लोकतांत्रिक राज्यों की अनिवार्य आवश्यकता है। लोकतांत्रिक प्रशासन में केवल प्रशासकीय कार्य की महत्वपूर्ण नहीं होते बल्कि प्रशासकीय कार्यों का जनहित में जन सहयोग के साथ किया जाना भी अति महत्वपूर्ण होता है।
लोकतांत्रिक प्रशासन की विशेषताएँ (Characteristics of Democratic Administration) - लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार है-
(i) जनता की इच्छाओं का सम्मान - लोकतांत्रिक शासन में शासन व प्रशासन का औचित्य जनता के हित के लिए होता है। लोकतंत्र में शासक व प्रशासन जनता के सेवक होते हैं, मालिक नहीं। अतः लोकतांत्रिक प्रशासन में जनता की इच्छाओं व अपेक्षाओं का सम्मान किया जाना अति महत्वपूर्ण होतां है। किसी प्रशासन को लोकतांत्रिक तभी कहा जा सकता है जबकि इसके अतंर्गत जनता की इच्छाओं को पूरा सम्मान दिया जाये।
(ii) लोकमत के प्रति उत्तरदायित्व - लोकतांत्रिक प्रशासन की यह भी अनिवार्य विशेषता है कि प्रशासन लोकमत के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे लोकमत को समझते हुए उसके अनुरूप ही कार्य करें। संसदीय संस्थाओं के माध्यम से प्रशासन को इस सन्दर्भ में अनिवार्य रूप से उत्तरदायी बनाया जाता है।"
(iii) प्रशासकीय निर्णयों का प्रचार-प्रसार - लोकतांत्रिक प्रशासन की यह भी विशेषता है कि इसमें प्रशासकीय निर्णयों को गुप्त नहीं रखा जाता। प्रशासकीय निर्णयों की पूरी जानकारी जनता को उपलब्ध कराई जाती है। स्वतंत्र प्रेस, विरोधी दल एवं संगठित लोकमत की प्रतिक्रिया में सरकारी निर्णयों का प्रचार एवं प्रसार किया जाता है। सरकारी नीतियों व प्रशासकीय कार्यों की आलोचना व समीक्षा के लिए जनता स्वतंत्र होती है।
(iv) जन सहयोग पर बल - लोकमत में जनता प्रशासन में सक्रिय भागीदार होती है। जनता के प्रतिनिधियों को सलाहकार समितियों एवं बोडों में स्थान प्रदान करके अथवा संगठित हित समूहों, प्रदर्शनों, जन-आन्दोलनों इत्यादि के माध्यम से सरकारी नीतियों पर प्रभाव डालने के अवसर प्रदान किए जाते हैं। उदाहरण के लिए - भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम, पंचायती राज इत्यादि व्यवस्थाओं का प्रारम्भ किया जाना प्रशासन में जन सहयोग की भावना को ही दर्शाता है।
(v) प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण - लोकतांत्रिक प्रशासन में प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण पर भी बल दिया जाता है। इसके अंतर्गत यह माना जाता है कि प्रशासन यथासम्भव विकेन्द्रित होना चाहिए। जिससे कि जनता के नजदीक जाकर निर्णय लिये जा सके। इसी प्रकार इसका उद्देश्य यह भी होता है कि विभिन्न स्तरों पर जन-प्रतिनिधियों को साथ लिया जा सके। यह माना जाता है कि इस व्यवस्था से प्रशासन को 'नौकरशाही' से सम्बन्धित अनेक बुराइयाँ कम हो सकेंगी। इससे संगठन में पदसोपान के स्तर कम होंगे और प्रशासक जन-प्रतिनिधियों से मिलकर जन-भावना के अनुकूल चलने का आदी हो जाएगा।
(vi) प्रशासनिक स्वेच्छाचारिता पर नियंत्रण - लोकतंत्र में प्रशासन को निरंकुशता व स्वेच्छाचारिता से मुक्त रखना भी जरुरी होता है। लोकतांत्रिक प्रशासन को अनेक संवैधानिक एवं संस्थागत नियंत्रणों में रहकर काम करना होता है। लोकतांत्रिक प्रशासन पर कार्यपालिका, के साथ-साथ विधायिका व न्यायपालिका का भी नियंत्रण आवश्यक रूप से विद्यमान होता है।
(vii) जन-विचारों के प्रति संवेदनशील - प्रशासन को जनता के विचारों के प्रति भी संवेदनशील रहना होता है। जैसकि पं. नेहरू ने कहा था कि- "सेवाएँ धीरे-धीरे यह सोचना बन्द करें कि वे साथी जनता से अलग एक श्रेष्ठ गुट के रूप में हैं।' वस्तुतः लोकतांत्रिक प्रशासन में प्रशासनिक अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं को केवल कानूनों के औपचारिक क्रियान्वयन तक ही सीमित न रखते हुए जनता की भावनाओं को महसूस करें तथा उसी के अनुरूप कार्य करें।
(viii) प्रशासन का प्रजातांत्रिक ढाँचा - लोकतांत्रिक प्रशासन के अंतर्गत प्रशासन को एक यंत्रवत् निकाय बनाने की बजाए इसके लोकतांत्रिक रूप के निर्माण पर भी बल दिया जाता है। प्रो. एपलबी के अनुसार “यदि सरकार को लोकतांत्रिक बनाना है तो नौकरशाही को भी विस्तृत रूप से प्रतिनिधिक बनाना चाहिए।'
निष्कर्ष - उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर निष्कर्ष तथा यह कहा जा सकता है कि लोकतांत्रिक राष्ट्रों में लोकतांत्रिक प्रशासन आज एक अनिवार्य आवश्यकता है। लोकतंत्र के अनुरूप प्रशासन का जनता के प्रति संवेदनशील होना अति आवश्यक है। लोकतांत्रिक प्रशासन इसी आवश्यकता की पूर्ति करने वाला प्रशासन का एक रूप है और आज अधिकांश लोकतांत्रिक राष्ट्रों में प्रशासन को इसी रूप में ढालने का प्रयास किया जा रहा है।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।